
दिनेश दुबे 9425523689
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*एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में स्पिक मैके कार्यक्रम ने समां बाँधा*
बेमेतरा = एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा मे स्पिक मैके संस्था द्वारा भारतीय संस्कृति एवं लोक नृत्य के प्रसार हेतु सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्पिक मैके संगठन के सदस्य गुरु और अन्य सदस्यों द्वारा केरल के लोक नृत्य कथकली के बारे में जागरूकता दी गई। यह युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति के प्रचार और संरक्षण के लिए एक सोसायटी है। यह एक गैर-राजनीतिक राष्ट्रव्यापी स्वैच्छिक आंदोलन है। एलॅन्स पब्लिक स्कूल इस आंदोलन का सदस्य है। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालया के चेयरमैन सर, प्राचार्य और स्पिक मैके संस्था के कलाकारों ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण कर की।
*संस्था के कलाकारों ने अपने कला का प्रदर्शन कर दर्शकों का मनोरंजन किया। उन्होंने शरीर मे स्थित 9 मुद्राएं अलग-अलग संदेश देती हुई दिखाईं। गुरु डॉ. सदनम कृष्णनकुट्टी और उनकी टीम के सदस्यों, कलामंडलम कुट्टीकृष्णन, कलामंडलम वेंकिटरमन, कलामंडलम सिनु, कलामंडलम देवराजन, कलामंडलम जयप्रसाद, कलानिलायम पद्मनाभन और अप्पुकुट्टन स्वरालयम ने कथकली नृत्य प्रस्तुत किया। गुरु डॉ. सदानम कृष्णनकुट्टी को केंद्र संगीत नाटक अकादमी के रत्न (फ़ेलोशिप) जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें टेक्सास विश्वविद्यालय – अमेरिका से ‘कथकली के राजदूत’ तथा तिरुर मलयालम विश्वविद्यालय, केरल से मानद डीलिट की भी उपाधि प्राप्त हुई है। कथकली केरल का एक पारंपरिक नाटकीय नृत्य है, जो चेहरे के भाव भंगिमा द्वारा नृत्य शैली में पौराणिक कहानी को दर्शाता है।
*प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता ने स्कूल के अब्दुल कलाम सभागार में कथकली प्रदर्शन के लिए गुरु और उनके शिष्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से भारतीय विरासत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को उसकी सुंदरता, अनुग्रह मूल्यों और ज्ञान के साथ पुनर्जीवित करके युवाओं को प्रेरित किया, जो एलॅन्स के छात्रों के जीवन को प्रभावित करेगा। उन्होंने बताया कि कथकली नृत्य भारतीय संस्कृति की विरासत है। छात्रों को भारतीय संस्कृति, लोक नृत्य और संगीत को पुनर्जीवित करने की सलाह दी। उन्होंने अपने उद्बोधन मे कहा कि कथकली नृत्य में आकर्षक फुटवर्क, चेहरे और हाथों के अभिव्यंजक हावभाव के माध्यम से शास्त्रीय संगीत और पारंपरिक गायन प्रदर्शन के साथ-साथ मुद्राओं के सभी भावों के उचित उपयोग के माध्यम से उनके पात्रों की आंतरिक स्थिति को दिखाते हुए कहानी कहने की गतिविधियां शामिल हैं। एनईपी शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शास्त्रीय नृत्य और पारंपरिक गायन संगीत के माध्यम से संगीत और प्रदर्शन कला का पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा प्रदान करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। यह छात्रों के लिए उनकी जीवनशैली में परिवर्तक साबित होगा।
इस अवसर पर अध्यक्ष श्री कमलजीत अरोरा ने स्पिक मैके के गुरू एवं कलाकारों को धन्यवाद दिया तथा विद्यार्थियों से कहा कि इस स्पिक मैके की ऐसी गतिविधियाँ समय-समय पर होती रहेंगी।
कार्यक्रम के अंत में श्री कमलजीत अरोरा, अध्यक्ष एवं डॉ. सत्यजीत होता, प्राचार्य ने इस दिन को यादगार बनाने के लिए स्पिक मैके के गुरु एवं कलाकारों को स्मृति चिन्ह के रूप मे शॉल एवं श्रीफल भेंट किए।
इस अवसर पर पुष्कल अरोरा -निदेशक, सुनील शर्मा-निदेशक, शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
















